अर्थशास्त्र वर्तमान समाज के महत्त्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। जो कुछ भी आर्थिक समृद्धि में योगदान देता है उसे हमेशा वरदान माना जाता है। तुलसी अनेक लाभोंवाला एक ऐसा ही आशीर्वाद है और अर्थशास्त्र में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान है।तुलसी एक बहुआयामी पौधा है, जो विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसकी कृषि करनेवाले समुदायों की समृद्धि में योगदान देता है।
तुलसी ने अपने विविध औषधीय गुणों के कारण हर्बल और फार्मास्युटिकल उद्योगों में प्रमुखता हासिल की है। तुलसी-आधारित उत्पाद – जैसे हर्बल चाय, सगंध तेल और आयुर्वेदिक दवाओं की माँग के कारण कृषि और प्रसंस्करण गतिविधियों में वृद्धि हुई है, जिससे किसानों और स्थानीय उद्यमियों के लिए रोजगार, अवसर और आय पैदा हुई है।
इसके अलावा, तुलसी ने कॉस्मेटिक (सौंदर्य प्रसाधन) उद्योगों में भी अपना स्थान बना लिया है। इसके अर्क का उपयोग त्वचा की देखभाल और हेयरकेयर उत्पादों में किया जा रहा है।
तुलसी के तनों का उपयोग आभूषणों में उपयोग किये जानेवाले मोती बनाने के लिए किया जाता है। इन आभूषणों के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों लाभ हैं, जो इन्हें अपने उत्पादन में शामिल हजारों लोगों के लिए आय के सबसे प्रमुख स्रोतों में से एक बनाते हैं।यह सिर्फ स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं है; ये उत्पाद पूरे देश में फैले हुए हैं और अन्य देशों में भी निर्यात किये जाते हैं। तुलसी के आर्थिक आयामों की खोज से कई अवसरों के परिदृश्य का पता चलता है जो कि यह दर्शाता है कि कैसे एक पारम्परिक जड़ी-बूटी व्यक्तियों और समुदायों के लिए समृद्धि का स्रोत हो सकती है।
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि संत श्री आशारामजी बापू इस पौधे को “माँ” क्यों कहते हैं | संत श्री आशारामजी बापू भी इस बात पर जोर देते हैं कि तुलसी दीर्घायु, स्वास्थ्य और जीवन शक्ति प्रदान करती है। उन्होंने आम जनता के उपयोग के लिए किफायती दरों पर कई उत्पाद बनाये हैं। तुलसी अर्क, होमियो-तुलसी गोलियाँ, गिलोय तुलसी घनवटी, तुलसी बीज गोली, संजीवनी गोली, निरापद वटी और तुलसी माला कुछ नाम हैं। इन उत्पादों का लाभ ले के हजारों लोगों ने तरह-तरह की बीमारियों-रोगों से छुटकारा पाया है और अपनी रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ायी है।
तुलसी पूजन जैसे आयोजन आर्थिक विकास के लिए एक और नये आयाम की रचना करते हैं। जहाँ तुलसी के पौधे वितरित किये जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है, वहां तुलसी पूजन के लिए आवश्यक पौधों, गमलों, खाद और अन्य वस्तुओं की माँग बढ़ जाती है। लघु उद्योगों और स्थानीय विक्रेताओं को ऐसी वस्तुएँ बेचने के लिए बढ़ावा मिलता है जो न केवल स्वदेशी हैं बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं।
तुलसी पूजन दिवस जैसी बापूजी की पहल ने मानवता के लिए जबरदस्त लाभ के साथ तुलसी को एक अद्भुत पौधे के रूप में स्थापित किया है।